विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Tuesday, April 1, 2008

महंगाई की मार से जनता बेहाल


बढ़ती महंगाई के लिए किसे जिम्मेदार बताये ?सरकार को या जनता को या फ़िर खेत मी पसीना बहने वाले किसान को?दिनों-दिन भद रही महंगाई से आम आदमी के माथे पर लकीरे खींच दी तौ सरकार भी बेचैन नज़र आ रही हैइस पर विचार करना ज़रूरी हैमहंगाई की डर पर सरकार लगाम लगाने में कामयाब नही हो पा रही हैसरकार ने आज दालो के आयात पर जो पाबन्दी लगाई है स्वागत योग्य हैपरन्तु हमे ज़रूरी है की हम उन किसानों के लिए भी कुछ करे जो रात-दिन एक करके पसीने से सींचकर फसल उगते हैउन्हें जब सब्सिडी नही दी जायेगी तौ वो कहा तक अपना और जनता का पेट पल सकते है?बजट में किसानों का क़र्ज़ माफ़ करके क्या एहसान किया है?सरकार को चाहिए की उनको जेरो दरो पर पैसा उपलब्ध कराये साथ-साथ उन्हें मेडिकल जैसी सुविधाये भी दी जनि चाहिएइससे न केवल किसानों की तरक्की होगी बल्कि समाज जिस समस्या से झूज रहा है,उसका भी निदान होगा