मैं, देहरादून में जर्नलिस्ट हूँ। बड़ा गर्व अनुभव करता हूँ लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बनकर। आने से पहले सोचता था की अपने विचारो से बदलाव की एक बयार चला दूँगा। लेकिन मुझे क्या पता था की समाज की सोच कितनी संकीर्ण हो गई है। एक रूम की तलाश में १० दिनों तक भटकता रहा, बात हो जाती लेकिन मुसलमान होने का पता चलते ही मुझे रूम देने से मन कर दिया जाता। हालाँकि उन्हें मैं ये भी बताने से नही चुकता की मैं पत्रकार हूँ, इसके बावजूद मेरा मुस्लमान होना मेरे पेशे पर भरी पड़ जाता। आखिरकार एक हिंदू भाई ने मुझे आसरा देने के लिए मेरी गारंटी ली। तब कहीं जाकर मैं एक रूम तलाश कर सका। लेकिन बदलती सोच के बारे में सोचकर मैं अन्दर तक झल्ला गया। आखिर हर मुसलमान आंतकवादी तौ नही है.
विचार कभी सामान्य नहीं होते
विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....
आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत
Monday, February 23, 2009
Thursday, February 12, 2009
ये बर्फ है मेरी jaan
मसूरी में बर्फ। सुनने पर ऐसा लगा जैसे जन्नत जमीं पर उतर आई हो। ऑफिस का काम निपटाया और अपने दोस्त आशीष के साथ निकल पड़ा मसूरी की और। जैसे-जैसे गाड़ी आगे बढती मेरी खुशी बढती जाती। आख़िर मैं पहुँच ही गया मसूरी की हसीं वादियों में। पहाडो की रानी पुरी तरह से सफ़ेद पड़ चुकी थी। देखने पर ऐसा लग रहा था की पहाडो में बर्फ के साथ ही जन्नत निकल आई हो। कोई किसी पर बर्फ का गोला मरता तौ, दूसरा बस हंसकर रह जाता। मैं भी हाथ में बर्फ लेकर इतना झूमा की मुझे पता ही नही रहा की मैं ऑन ड्यूटी हूँ। शाम तक भागते-भागते ऑफिस पहुँचा तौ किसी को कुछ पता न चले, इससे बचने की कोशिश करता रहा, लेकिन जोश इतना था की डेस्क इंचार्ज कुनाल सर भांप गए। हमसे बोले की कहाँ के टूर पर चले गए थे? हमने चुपचाप कुनाल जी को पुरी बात बता दी। लेकिन आज जब खुशी में संपादक जी को बताया तौ उन्हें यकीं ही नही हुआ। क्या करता बर्फ थी मेरी जान, छिपा ही नही सका किसी से.
Subscribe to:
Posts (Atom)