विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Sunday, March 21, 2010

राजनीति या स्टंट ?

राहुल गाँधी जब किसी गरीब के घर जाकर खाना खाते हैं तौ सबके पेट में दर्द हो जाता है। दर्द होना भी लाज़मी है, भाई हमारी राजनीती और वोट बैंक में गरीब ही तौ सबसे अहम् होते हैं। अब राहुल गाँधी के इस फंदे के दो पहलू है, एक तौ सवाल ये है की इतने दिनों से एक सीट पर इनका कब्ज़ा होने के बावजूद वह आज तक इतने गरीब क्यों है, दूसरा पहलू ये है की अगर वो अपनी राजनीती को अपने पुरखो के स्टाइल पर रखते हुए आगेव बढ़ना चाहते है तौ इसमें बुराई क्या है? भाई मायावती जी भी तौ दलित राजनीती करने में विश्वास रखती है, लालू प्रसाद हो या शिबू शोरेन, हर किसी का राजनीती करने का अपना स्टाइल है। एक आम आदमी होने के नाते मेरा तौ इन सब नेताओं से बस एक ही सवाल है की आखिर कब वो अपनी राजनीती देश को आगे बढाने में करेंगे? आखिर कब तक वो घोटालो के दम पर अपनी हनक बनाते रहेंगे? आखिर कब तक वो देश और परदेश को बांटते रहेंगे? गरीबो के वोट बैंक पर राजनीती करने वाले मेरे देश के नेताओ अब तौ इन गरीबो की गरीबी दूर करने की सोचो। अब तौ इन्हें भी एक अलग पहचान दो। अब तौ इनकी बिमारी के इलाज़ की वीआईपी सुविधाए दो.l