भारत आजाद कराने के लिए गांधी जी ने जितनी जद्दोजहद यानी आंदोलन और समर्पण किया, एक भारत देश का सपना देखा लेकिन हे गांधी(हे भगवान स्टाइल) तेरे देश के नेताओं और बुद्धिजीवी वर्ग को ये क्या हो गया? जनता के वोट के लालच में इस कदर अंधे हो गए कि दो पल में वह अपना ऊपर से नियंत्रण खो देते हैं. यह नियंत्रण खोना तो ठीक भी कहा जाए लेकिन इससे कितने लोगों यानी उनके वोट बैंक की भावनाओं को ठेस पहुंचती है, ये तो इन लोगों के बयान की गहराई से आप भी समझ सकते हैं....
बेतुका भाषण संख्या 1-
आंध्र प्रदेश में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन पार्टी के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना मुंबई अटैक में फांसी पर चढ़ाए गए अजमल कसाब से कर दी। मोदी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, 'उस बच्चे अजमल कसाब को फांसी पर लटका दिया गया, ठीक किया। उसने दो सौ बेकसूर लोगों की जान ली थी। लेकिन, गुजरात में दो हजार मुसलमानों की हत्या के गुनहगार नरेंद्र मोदी को फांसी क्यों नहीं दी?Ó अपने भाषण में ओवैसी ने आगे कहा, 'पाकिस्तानी है तो हिंदुस्तानी को मारने पर फांसी। हिंदुस्तानी है तो हिंदुस्तानी को मारने पर देश की गद्दी... अगर देश में इंसाफ है तो कसाब की तरह मोदी को भी ऐसी सजा दी जाए।Ó
बेतुका भाषण संख्या 2-
सीपीएम के नेता अनीसउर्रहमान ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से पूछा है कि यदि कोई उनका बलात्कार कर दे तो वे कितना मुआवजा लेंगी? अनीसुर्रहमान ने कहा, 'सरकार कहती है कि वो लड़कियों, किसानों और गरीबों सबका ख्याल रखती है। तो लड़कियों का ख्लाय किस तरह रखा जा रहा है, रोज लड़कियों से बलात्कार किया जा रहा है। ममता बनर्जी बलात्कार पीडि़तों से अपने घर को सजा रही हैं। जब हम सत्ता में थे तब ममता बनर्जी बलात्कार पीडि़तों को लेकर रॉयटर्स बिल्डिंग आती थीं और न्याय मांगती थी। तब हम कहते थे कि इन लड़कियों से काम नहीं चलेगा, किसी और अच्छी लड़की को लाओ, असल में खुद को ही ले आओ, तुम लोगों के बीच जाकर कह सकती हो कि मेरा बलात्कार हुआ है। मैं दीदी से पूछता हूं कि वो बलात्कार पीडि़तों को 20 हजार रुपये का मुआवजा दे रहीं हैं। लेकिन वो खुद कितना मुआवजा लेंगी। यदि कोई उनका बलात्कार कर दे तो फिर मुआवजा कितना होगा?Ó
बेतुका भाषण संख्या 3-
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का कहना है कि नैतिक मूल्यों के पतन के चलते महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं और इसकी वजह से दिल्ली में रेप जैसी वारदात होती हैं। दिल्ली से छपने वाले मेल टुडे टैब्लॉइड के मुताबिक, मोहन भागवत ने उज्जैन संभाग के शाजापुर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ गौ-अभयारण्य की आधाराशिला रखे जाने के मौके पर उन्होंने कहा, 'घर में गाय पालने से लोगों में नैतिक मूल्य बढ़ेंगे। गाय हमारी माता है। गाय की सेवा मानव जाति की सेवा के समान है। इससे हमारे भीतर सेवा की भावना जगेगी और नैतिकता बढ़ेगी।Ó रेप को लेकर देश में जहां गंभीर बहस हो रही है, ऐसे में संघ प्रमुख का बेतुका बयान समझ से परे है। इससे पहले हरियाणा में बढ़ते रेप के मामले पर खाप ने कहा था कि राज्य में बलात्कार जैसे अपराध इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि लोग चाउमिन खा रहे हैं। इस बयान में कहा गया था कि चाउमिन खाने पर युवकों का हॉर्मोंन बढ़ रहा है, जिसके कारण वह रेप करने के लिए उत्तेजित हो जाते हैं।
बेतुका बयान संख्या 4-
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पुत्र और जंगीपुर से कांग्रेस के सांसद अभिजीत मुखर्जी ने गैंग रेप के खिलाफ दिल्ली में चल रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर एक विवादित बयान दे दिया है। उन्होंने कहा कि हर मुद्दे पर कैंडल मार्च करने का फैशन चल पड़ा है। अभिजीत ने कहा कि लड़कियां दिन में सज-धज कर कैंडल मार्च निकालती हैं और रात में डिस्को जाती हैं।
बेतुका बयान संख्या 5-
संजय निरुपम ने स्मृति पर निजी हमले करने शुरू कर दिए। उन्होंने कहा, 'स्मृति आप मुझे मेरा अतीत याद दिला रही हैं, लेकिन आप क्या थीं? आप तो पैसों के लिए टीवी पर ठुमके लगाती थीं और आज राजनीतिक विश्लेषक बन गईं।Ó न्यूज़ चैनल के एंकर ने निरुपम को निजी हमले करने से रोका, स्मृति ने भी उनकी बातों पर ऐतराज जताया। जब संजय निरुपम नहीं रुके तो स्मृति ने कहा,' कांग्रेस सांसद छिछोरेबाजी पर उतर आए हैं। निरुपम और उन बदमाशों में कोई अंतर नहीं जो दिल्ली की सड़कों पर छेड़छाड़ और बलात्कार करते हैं।Ó
बेतुका बयान संख्या 6-
राजस्थान में ही दलित समाज के सम्मेलन में राज्यसभा की पूर्व सदस्य जमनादेवी बारुपाल ने लड़कियों को पूरी तरह ढंके रहने की नसीहत दे डाली। उन्होंने यहां तक कहा कि कम कपड़े पहनने से लड़कियों की तरफ पुरुष आकर्षित होते हैं। इसमें पुरुषों का क्या दोष है।
बेतुका बयान संख्या 7-
पुलिस विभाग के खरगोन में सेमिनार में पहुंची महिला कृषि वैज्ञानिक ने महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता विषय पर बोलते हुए पीडि़ता को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा- महिलाएं ही पुरुष को उकसाती हैं। डॉ. शुक्ला यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने और भी सवाल उठाए। उनका सवाल था 10 बजे रात को लड़की घर से बाहर क्या कर रही थी? फिर कहा- ब्वॉय फ्रेंड के साथ रात को बाहर निकलेगी तो यही होगा। पुलिस कहां तक संरक्षण देगी। उन्होंने पीडि़ता के प्रतिरोध को भी उसका दुस्साहस बता दिया। उनका कहना था हाथ पांव में दम नहीं, हम किसी से कम नहीं। छह लोगों से घिरने पर लड़की ने चुपचाप समर्पण क्यों नहीं कर दिया। कम से कम आंते निकालने की नौबत तो नहीं आती।
महोदय, आप भी आजाद भारत के आजाद परिंदे हैं। इन महानुभावों के बेतुके बयानों पर आप भी बेतुकी राय दे सकते हैं।