मसूरी में बर्फ। सुनने पर ऐसा लगा जैसे जन्नत जमीं पर उतर आई हो। ऑफिस का काम निपटाया और अपने दोस्त आशीष के साथ निकल पड़ा मसूरी की और। जैसे-जैसे गाड़ी आगे बढती मेरी खुशी बढती जाती। आख़िर मैं पहुँच ही गया मसूरी की हसीं वादियों में। पहाडो की रानी पुरी तरह से सफ़ेद पड़ चुकी थी। देखने पर ऐसा लग रहा था की पहाडो में बर्फ के साथ ही जन्नत निकल आई हो। कोई किसी पर बर्फ का गोला मरता तौ, दूसरा बस हंसकर रह जाता। मैं भी हाथ में बर्फ लेकर इतना झूमा की मुझे पता ही नही रहा की मैं ऑन ड्यूटी हूँ। शाम तक भागते-भागते ऑफिस पहुँचा तौ किसी को कुछ पता न चले, इससे बचने की कोशिश करता रहा, लेकिन जोश इतना था की डेस्क इंचार्ज कुनाल सर भांप गए। हमसे बोले की कहाँ के टूर पर चले गए थे? हमने चुपचाप कुनाल जी को पुरी बात बता दी। लेकिन आज जब खुशी में संपादक जी को बताया तौ उन्हें यकीं ही नही हुआ। क्या करता बर्फ थी मेरी जान, छिपा ही नही सका किसी से.
1 comment:
is tarah se mauj ka maja hi kuch alag hota hai. snow fall wo bhi valentine week me ho to kaun khud ko rok sakta hai
kunal
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