विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Monday, January 26, 2009

ये कैसा शोर?

हर बार हम बड़े शोक के साथ २६ जनवरी मानते हैं। हम बार-बार पुलिस पर दोष मढ़ते है की वह घूस लेती है, नगर निगम पर आरोप लगते हैं की वह सफाई नही करता, अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगते हैं, चारो और असंतोष ही अशंतोश झलकता दिखाई देता है। लेकिन क्या कभी आपने ये भी सोचा है की अगर हम अपनी ज़िम्मेदारी समझे तौ पुरा देश सुधर जाएगा। आओ इस २६ जनवरी पर हम सब मिलकर ये कसम खाएं की हम सुधरेंगे तौ देश सुधरेगा.

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