विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Monday, November 14, 2011

सेक्स एजूकेशन की जरूरत

भारतीय संस्कृति में सेक्सुअल एजूकेशन का जिक्र ही एक बड़ी बात कही जाती है। ऐसे में यह बच्चों को दिलाने का मामला तो जैसे भारतीय समाज में अपराध ही बन जाता है। लंबे समय से सेक्सुअल एजूकेशन को सेलेबस का हिस्सा बनाने की मांग उठती आ रही है। कभी इसमें समाज के कुछ ठेकेदार रोड़ा बन जाते हैं तो कई बार हम खुद ही। इस बीच जब सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले सामने आते हैं तो एक बार फिर सेक्सुअल एजूकेशन का मुद्दा गरम हो जाता है।
मुंबई के एक नामी स्कूल में कुछ महीने पहले ही एक बच्चे के साथ स्कूल के खेल शिक्षक द्वारा सेक्सुअल हैरेसमेंट का मामला सामने आया तो जैसे पूरे समाज में फिर खलबली मच गई। बच्चे का कई महीनों से हैरेसमेंट हो रहा था लेकिन उसे यह जानकारी नहीं थी कि यह गलत है। हां, उसे दर्द होता था और टीचर उसे नाम काटने की धमकी देकर चुप करा दिया करता था। किस्मत से पुलिस की छानबीन में मामला खुला तो आरोपी टीचर को जेल हो गई। दूसरे वाकया सामने आया है एजूकेशन हब के नाम से विख्यात देहरादून में। रविवार की अलस्सुबह एक मासूम बच्चा अपने पिता के साथ शहर कोतवाली में पहुंचा। बच्चे के चेहरे पर जो डर था, वह बता रहा था कि उसके साथ कुछ बुरा हुआ है। बच्चे को प्यार से वजह पूछी तो उसने पूरी बात बतानी शुरू कर दी। उसने मासूमियत भरे लहजे में जब पूरी बात बताई तो पुलिस ही नहीं वहां मौजूद सभी लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. सात साल के बच्चे ने सुबकते हुए बताया कि उसके हॉस्टल का वार्डन हर रात उसके साथ गंदा काम करता है। यह खुलासा सुनकर हरकत में आई दून पुलिस ने बच्चे को मेडिकल कराया तो उसमें भी कुकर्म की पुष्टि हो गई। हालांकि बच्चे को इस गंदे काम की जानकारी न होने की वजह से वह पिछले कई महीनों से इस दरिंदे का शिकार हो रहा था लेकिन एक दिन अचानक ही वह हॉस्टल से भागकर घर पहुंचा तो ही यह मामला खुल पाया। बताया जा रहा है कि इस बच्चे की माफिक ही इस दरिंदे ने स्कूल के तकरीबन 20 बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाया है, हालांकि जांच अभी जारी है।
यह दो मामले कहीं न कहीं सेक्स एजूकेशन की कमी की वजह भी कहे जा सकते हैं। अगर बच्चों को सेक्स एजूकेशन दी जाए तो कहीं न कहीं उन्हें इस प्रकार के गंदे कामों की जानकारी हो। दून की मशहूर साइकोलॉजिस्ट डा. वीना कृष्णन का इस मसले पर अलग ही मत सामने आता है। उनका कहना है कि पहले इस प्रकार के चार में से दो मामले होते थे तो अब हर दो में से एक मामला बच्चों के सेक्सुअल हैरेसमेंट का सामने आ रहा है। इसकी वजह से एक ओर जहां बच्चे टूट रहे हैं तो दूसरी ओर उनकी मानसिक यातना से परिवारों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। डा. के मुताबिक अगर इस प्रकार के मामलों पर रोक लगानी है तो बच्चे को सेक्सुअल नॉलेज देनी जरूरी है। उनका कहना है कि इस प्रकार के मामलों से बचने के लिए अगर स्कूलों में सेक्स एजूकेशन न भी हो तो मां को अपने मासूम बच्चे को उसी के लहजे में अच्छे बुरे की जानकारी देनी चाहिए। अगर ऐसा किया जाएगा तो बच्चे के साथ इस प्रकार की हरकत होते ही वह मां को आकर बताएगा। इससे काफी हद तक इस प्रकार की हैवानियत पर रोक लग सकेगी।

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