विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Monday, February 14, 2011

वेलेंटाइन डे नहीं वी-केयर डे

वेलेंटाइन डे का दिन हम जैसे शादीशुदा प्रोफेशनल पुरुषों के लिए पत्नी को विश करने के बाद अपने अखबार में बेहतर से बेहतर कवरेज देने के लिए माना जाता है। हम भी इस दिन नए से नए एंगल की खबरें लाकर अपने रीडर्स को रिझाने की कोशिशें करते हैं। लेकिन इस बार के वेलेंटाइन डे ने जो खबर मुझे दी, वाकई वह खबर थी। खबर इसलिए क्योंकि वह उनसे जुड़ी थी जो हमारे देश का भविष्य है। खबर लिखने के बाद मुझे इस बात का अहसास हुआ कि हमारा युवा वर्ग अगर इतना हटकर सोचेगा तो एक दिन यहां भी हम कोई नई क्रांति जरूर ले आएंगे।

दरअसल मामला है वेलेंटाइंस डे को जरा हटकर मनाने का। देहरादून के टॉप के चार कॉलेजों के युवाओं ने मिलकर इस दिन में एक नई इबारत लिख दी। यहां के हजारों युवा प्यार के इस दिन में एक जगह इकट्ठा हुए और वेलेंटाइंस डे नहीं, वी-केयर डे के तौर पर मनाने का फैंसला किया। इन युवाओं ने एक रैली निकालकर यह पैगाम देने की कोशिश की कि हम केवल अपने प्यार को ही प्यार नहीं करें बल्कि अपने देश को भी दिल से ही प्यार करें। रैली के साथ ही इस नई क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। युवाओं का कहना है कि अब उन्होंने वेलेंटाइंस डे को वी केयर डे के तौर पर मनाने की मुहिम शुरू कर दी है। इसी मुहिम के तहत निकाली गई रैली में युवाओं ने पर्यावरण, गर्ल चाइल्ड, टाइगर जैसी तमाम उन मामलों के प्रति जागरुकता बढ़ाई जो कि आज की जरूरत है। रैली महज एक रैली नहीं है, बल्कि इस मुहिम को फेसबुक, आर्कुट जैसी नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग का भी सहारा खूब मिल रहा है। आयोजक युवाओं का कहना है कि अगले साल से वह इस रैली को केवल दून ही नहीं बल्कि देश के चार अन्य मेट्रो सिटीज में भी निकालेंगे। एक युवा ने तो यहां तक कह दिया है कि वह अपनी कोशिशों से इस दिन को इस कदर पॉप्यूलर करना चाहते हैं कि 2015 तक पूरा देश वेलेंटाइंस डे को वी-केयर डे के तौर पर मनाएं।

कहते हैं अगर युवा जोश किसी काम में लग जाता है तो पहाड़ सी अड़चने भी पलभर में दूर हो जाती हैं। अब इन युवाओं ने भी एक कोशिश करने की कोशिश की है, अब यह कोशिश कितनी कामयाब होगी, यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तो तय है कि हमारा युवा भी अपने विचारों से क्रांति लाना जानता है।

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