विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Thursday, February 10, 2011

बोल बाबा बोल…


वेलेंटाइन वीक शुरू होने के साथ ही सड़कछाप बाबाओं की भी मौज हो जाती है। महीनों तक ग्राहक का इंतजार करने वाले कथित ज्योतिषियों की तो जैसे प्यार के इस मौसम में बांछे खिल जाती हैं। हर प्रेमी अपनी प्रेमिका को प्याज का इजहार करने के साथ ही अपने प्यार की उम्र जो देखना चाहता है। कई ऐसी कहानियां होती हैं, जो कि आज शुरू होकर कुछ ही दिनों में यादों में धूमिल हो जाती हैं। हालांकि हमारा युवा ज्योतिषियों पर कम ही यकीन करता है लेकिन आज भी ऐसे युवाओं की संख्या कम नहीं है। अब सवाल यह है कि क्या खुद का भविष्य संवारने के लिए जद्दोजहद करने वाला बाबा आपके प्यार का भविष्य बता सकता है?


रोज डे पर दून के गांधी पार्क में ऐसे जोड़ों की काफी संख्या पाई जाती है। घर से स्कूल-कॉलेज के बहाने पार्क में मिलना, रोज देना, प्रपोज करना, हग करना…पूरे वीक का सेलिब्रेशन। आजकल यहां के आसपास मंडराने वाले बाबाओं की खूब मौज आ रही है। आज ऐसे ही एक बाबा का पूरा नजारा मैने अपनी आंखों से देखा।

एक प्रेमी युगल एक कथित बाबा के पास बैठा हुआ था। दोनों के माथों पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही थी। प्रेमी का दिया हुआ गुलाब, प्रेमिका के हाथ में था लेकिन दूसरा हाथ बाबा के हाथ में था। बाबा बोले जा रहा था…बच्चा तुम्हारे जीवन में अभी प्रेम के योग दिखाई नहीं दे रहे हैं…तुम्हारी हस्तरेखाएं बता रही हैं कि तुम अपने प्यार को ज्यादा दिन संभाल नहीं पाओगी। लड़की की चिंताएं बढ़ती जा रही थी। मैं पूरा नजारा अपनी आंखों से देख रहा था। पास में बैठा प्रेमी संकुचा रहा था, दिमाग में सवाल घूम रहा होगा कि ऐसे कैसे हमारा प्यार अमर होगा? दोनों ने बाबा को 50 रुपए दिए और चिंता के साथ ही चलते बने। अब पूरा नजारा देखने के बाद मैं खुद सवालों से घिर गया। आखिर एक बाबा, हमारे प्यार को कैसे परिभाषित कर सकता है? क्या प्यार हस्तरेखाएं देखकर किया जाता है? अगर लैला-मजनू भी किसी ऐसे बाबा के चंगुल में फंस जाते तो क्या उनकी कहानी प्रेमियों के लिए एक आदर्श होती? क्या दूसरी तमाम प्रेम कहानियां भी हस्तरेखाएं देखकर शुरू हुई थी? मैं कहीं से भी ज्योतिष विद्या की बुराई नहीं कर रहा हंू लेकिन मेरा मत है कि ऐसे तमाम मामलों में इन विद्याओं से ज्यादा खुद की सोच और एक-दूसरे के प्रति समर्पण को वरीयता देनी चाहिए। प्यार को किसी भी दायरे या बंदिशों में न तो कभी रखा गया और न रखा जा सकेगा। तो फिर हम बाबा के पास अपने प्यार का भविष्य देखने के लिए क्यों जाते हैं? वेलेंटाइन वीक शुरू हो चुका है, आप भी अपने प्रेमी या प्रेमिका को दिल से विश करें और अपने भरोसे को हमेशा बनाए रखें। शुभकामनाओं के साथ…

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