विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Sunday, May 16, 2010

फिर जिंदा हो गई बहस


बात जब लिव इन रिलेशन की हो तो हर मन में एक अजीब सा सवाल पैदा होता है। सवाल होता है ये कि आखिर भारतीय संस्कृति के अनुसार क्या यह सही है? सवाल होता है कि क्या शादी से पहले किसी गैर मर्द को अपना सबकुछ सौंपना सही है? सवाल तो ये भी उठता है कि क्या शादी से पहले साथ रहने के बाद स्त्रीपुरुष में एकदूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान रह जाता है? इन सब सवालों से जूझने के बाद दक्षिण की अभिनेत्री खुश्बू को तो सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी, लेकिन नई पीढ़ी इस नए रिश्ते में ही ज्यादा विश्वास करती है। इसका ताजा उदाहरण है शनिवार को राजधानी में देहरादून पहुंची मिस इंडिया वर्ल्ड२०१० मनस्वी ममंगाई। उन्होंने युवाओं और कन्याओं को अपना मैसेज देने के लिए आधुनिक सोच को ही सर्वोपरि रखा। उन्होंने लिव इन रिलेशन को लेकर सबसे पहले यही कहा कि आखिर क्यों हम किसी रिश्ते को खुद पर बोझ बनाएं। क्यों न हम एकदूसरे के साथ इस पवित्र बंधन में बंधने के लिए पहले कुछ दिनों एक दूसरे को जान लें। उन्होंने कहा कि इस रिश्ते को बनाए रखने के लिए ये भी जरूरी है कि आप सिर्फ सिनेमाघर या पार्क में बैठकर टाइम वेस्ट करने के बजाए कुछ दिनों तक साथ रहें। इससे आने वाला टाइम और मैरिज लाइफ ज्यादा बेस्ट हो सकती है। मनस्वी का यह बयान भले ही उन लोगों को सही न लगे जो खुद को आधुनिकता में नहीं ढ़ाल पाएं हों लेकिन ये तो सच है कि बदलते परिवेश में सोच को भी बदलना ही होगा। अगर हम समय रहते ऐसा कर पाएं तो हमारे और हमारे युवाओं के लिए ज्यादा बेहतर होगा। तो चलो, कदम से कदम मिलाकर चलें और विवादों से इतर देश के विकास की सोचें। अब अगर यह रिश्ता और रिश्तों की यह बदलती परिभाषा ही वर्तमान की मांग है तो हमें मिलकर इसे स्वीकार करना ही होगा। आज का युवा खुले विचारों वाला है तो उसे विचारों में जोश और जज्बा देखने के काबिल है। उसे जीवन साथी का चयन करनें में अब परंपरागत रवैयों से कोई मतलब नहीं है। यह बदलाव है इसे बदलाव को सहर्ष स्वीकार करें।

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