विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Tuesday, December 21, 2010

लब खोलता नहीं कोई जुल्म…

साल शुरू होते हुए महंगाई डायन का प्रकोप ऐसा शुरू हुआ कि साल बीतने के साथ ही आल इज नोट वेल में तब्दील होता दिखाई दे रहा है। साल के शुरू में आमिर खान की फिल्म थ्री इडियट के डायलॉग आल इज वेल ने आम जनता को एक राहत दी थी, कि जब भी कभी कोई आपत्ति आए तो आप इस वाक्य को ‘अहं ब्रह्मास्मि की तर्ज पर बोलकर दिल को समझा सकते हैं। साल बीतने के साथ ही यह आल इज वेल, महंगाई डायन की वजह से नोट वेल में तब्दील होता जा रहा है। महंगाई तेजी से बढ़ रही है लेकिन हर तरफ खामोशी है।
मुझे आज भी याद हैं बीजेपी सरकार के वो दिन जब मेरे एक गुरुजन ब्रहमदत्त शर्मा ने एक कविता लिखी थी-
‘80 रुपए प्याज हैं बिके, 20 रुपए हैं सेव, जनता का घर लूट कर अपना घर भर लेव।
तब बीजेपी को इस महंगाई की वजह से सत्ता गंवानी पड़ी थी। तब लगता था कि जरा सी महंगाई जनता पर कितना प्रभाव डालती है। लेकिन अब कांग्रेस सरकार को इतना लंबा समय हो गया। लोगों की महंगाई कम होने की उम्मीदें दूर होती दिखाई दे रही हैं। हालात इस कदर चिंताजनक हैं कि सरकार ने तेल मूल्यों से अपना नाम जनता को बरगलाने को हटा तो लिया लेकिन बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी होगी कि किरीट पारिख समिति की सिफारिशों को जून में लागू कर दिया गया था। इसके तहत पेट्रोलियम पदार्थों के दामों के विनियमन की सिफारिश की गई थी। इस विनियमन (अब तेल के दाम सरकारी कंपनियां तय करती हैं, लेकिन बढ़ाने से पहले सरकार की इजाजत जरूरी) के बाद पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में पिछले छह महीने में पांच बार बढ़ोतरी हुई है। पेट्रोल के दामों पर अगर सालभर गौर करें तो पता चलता है कि इनमें एक साल में सात बार अभी तक बढ़ोतरी हो चुकी है। तेल महंगा, खाना महंगा, अब तो प्याज फिर बीजेपी सरकार की याद दिला रही है। प्याज के दामों में अचानक से उछाल दर्ज किया गया है, जिससे यह दो दिन के अंदर ही 30 रुपए किलो से बढ़कर 70 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं। नेताजी घोटालों में बिजी हैं, वोट देकर सत्ता दिलाने वाले बेचारे हम महंगाई डायन के असर से आजिज हैं। कोई कुछ बोलने को तैयार ही नहीं है। आज मुझे एक शायर की वो शायरी याद आ रही है-
‘लब खोलता नहीं कोई जुल्म के खिलाफ
ताले लगे हों जैसे सभी की जुबान में

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