विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Thursday, November 4, 2010

अब कभी वह कोख हरी न होगी

वह दोनों प्रोफेशनल हैं। पंद्रह साल की प्रोफेशनल लाइफ में उन्होंने देहरादून में एक बड़ा सा मकान बना लिया है। इतना बड़ा की जब खाली सा लगने लगा तो दो-चार किराएदार रख लिए। पूरा परिवार कहीं और रहता है, इस हवेली रूपी घर में केवल पति-पत्नी ही रहते हैं। जरूरत है तो बस एक औलाद की जो शाम को थककर घर आने पर प्यार से पापा या मम्मी पुकार सके। सूनापन है तो उस लक्ष्मी का जो कि हर पल मम्मी और पापा के साथ ककहरा लगा सके। वजह खुद उनका प्रोफेशनलिज्म।

कल शाम को थोड़ी फुरसत मिली तो मैं इन जनाब के पास बैठ गया। कई सालों से मन में चल रहे सवाल को आखिरकार मैं कब तक रोक पाता। मैंने पूछ ही लिया घर के सूनेपन की वजह। फिर क्या था, उन्होंने जो बताया वह आज के प्रोफेशनल लोगों के लिए एक सबक है। पंद्रह सालों पुरानी बात है जब इन जनाब का विवाह एक सुंदर कन्या के साथ हुआ था। तब कॅरियर की शुरुआत ही थी। पत्नी ने अभी ग्रेजुएशन ही किया था तो उन्हें भी कॅरियर बनाने की चिंता थी। शादी के बाद दोनों ने पहले अपना कॅरियर बनाने की ठानी। इस बीच दो बार गर्भधारण हुआ तो वह कॅरियर की राह में बाधा लगा। गर्भपात करा दिया। उनकी यह भूल आज तक उन्हें सालती है। पति एक बड़े कॉलेज में लेक्चरर बन गए तो पत्नी ने भी पीएचडी करके एक बड़े संस्थान में बतौर प्रोफेसर नौकरी पा ली। अब दोनों को सुध आई मां-बाप बनने की लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। लाख कोशिश के बाद भी वह मां का सुख नहीं पा सकी। और अंदर तक पूछने पर बताया गया कि कॅरियर बनाने के लिए दोनो इस कदर बिजी हो गए कि बच्चे की याद ही नहीं आई। अब यह दोनों अकेलेपन की जिंदगी जी रहे हैं। हर घर में किलकारी गंूजती सुनते हैं तो यह दर्द और बढ़ जाता है लेकिन अब क्या होत है जब चिडिय़ा चुग गई खेत?

समझ नहीं आता कि जब हमारे लिए कॅरियर ही पहली प्राथमिकता होता है तो हम विवाह बंधन में बंधते ही क्यों हैं? अगर बंध जाते हैं तो आप प्रकृति के खिलाफ जंग करके कब तक खुद को मां-बाप बनने से रोक सकते हैं? अगर रोक लें तो अक्सर ऐसा होता है जैसा इस कपल के साथ हुआ है। इसलिए जरूरी है कि समय पर शादी होने के बाद प्रोफेशनलिज्म के बजाए समय पर बच्चे भी हो जाने चाहिएं। हमारी युवा पीढ़ी में प्रोफेशनलिज्म का यह ट्रेंड तेजी से पनप रहा है जो कि भविष्य के भारत के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है।

दीवाली की हार्दिक शुभकामनाओं सहित....
आफताब अजमत

3 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

वर्तमान में लोग अपने कैरियर के प्रति ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। जिसके दु्ष्परिणाम की आपने चर्चा की है।
सुंदर पोस्ट

दीपावली की शुभकामनाएं

Randhir Singh Suman said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये

Saleem Khan said...

great !