विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Friday, November 19, 2010

बेटे को जिंदगी दें...

बेटे को जिंदगी दें, मौत नहीं। यातायात पुलिस का यह संदेश हम आज भी बेहद हल्के अंदाज में लेते हैं। हमारे बेटे की बाइक लेने की जिद को हम इसलिए पूरा कर देते हैं, क्योंकि वह हमारा लाडला है। हमने कभी यह नहीं सोचा कि बेटे की जिद पूरी करने की हमारी यह तमन्ना हमारी जिंदगी में भी कितना अंधेरा ला सकती है। आज के दिखावे के युग में हम बेशक अपनी युवा पीढ़ी से कदम से कदम मिलाकर चलना चाहते हैं लेकिन हमारी एक गलती हमारे बच्चे की जान की दुश्मन बन सकती है.

बात कुछ दिन पहले की है। देहरादून के एक परिवार के इकलौते चिराग ने कॉलेज में एडमिशन लेने के साथ ही बाइक खरीदने की जिद की। पिता ने भी साथियों के सामने बेटे की पोजिशन मजबूत बनाने के लिए झट से बाइक दिला दी। कुछ दिनों बाद पता चला कि बेटे का कॉलेज जाते हुए भयंकर एक्सीडेंट हो गया है। इस एक्सीडेंट ने इस घर का इकलौता चिराग हमेशा के लिए छीनकर इनकी जिंदगी में अंधेरे भर दिए। कल तक जिस लाडले को देखकर बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता था, मां का कलेजा राहत महसूस करता था, आज वही बेबस थे। अपने दिल का टुकड़ा, अपना बेटा खो देने के बाद इस परिवार ने दूसरे परिवारों के वारिस बचाने का बीड़ा उठाया। शहर में एक प्रेस कांफ्रेंस में इस माता और पिता ने सभी पैरेंट्स से अपील की कि वह अपने बच्चों को जितना हो सके बाइक से दूर ही रखें। उन्होंने सबसे अनुरोध करते हुए बताया कि जिस तरह से अपनी लापरवाही की वजह से वह अपने बेटे को खो चुके हैं, वह नहीं चाहते कि दूसरे परिवारों को भी यह दंश झेलना पड़े।

इस परिवार के इस कदम की मैं दिल से सराहना करता हंू। आखिर हम क्यों भूल जाते हैं कि जवानी के बेलौस जोश में हम अपने लाडलों को हाई स्पीड बाइक्स दिला देते हैं। बेटा बाइक दौड़ाता है और खुद तो दुनिया से विदा हो जाता है लेकिन पीछे छोड़ जाता है कुछ जख्म, कुछ अंधेरे जो चाहकर भी नहीं भरे जा सकते। मेरी सभी ऐसे माता-पिता से इस मंच के माध्यम से अपील है कि वह 'बेटे को जिंदगी दें बाइक नहींÓ।

3 comments:

Sunil Kumar said...

सही कहा आपने माँ बाप को भी समझना पड़ेगा | सार्थक पोस्ट

S.M.Masoom said...

अच्छी प्रस्तुति. लोग प्यार मैं स्वम ज़हर देते हैं

अजित गुप्ता का कोना said...

बिना लाइसेंस लिए ही माता-पिता बाइक दिला देते हैं, और बड़े गर्व के साथ बताते हैं कि मैंने बेटे को बाइक दिला दी है। हमारे एक मित्र हैं, उनका इकलौता लड़का बाइक पर जा रहा था, मोबाइल कान पर लगा था। पीछे से हाथी निकला और उसने अपनी सूंड को घुमा लिया, लड़का मोबाइल के कारण सम्‍भल नहीं पाया और गिर गया। हेड इन्‍जरी और फिर मौत। माँ डिप्रेसन में आ गयी और दो महिने बाद ही जलकर मौत। हम समझ नहीं पा रहे इस अतिरेकी प्‍यार को।