विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Monday, November 8, 2010

दुआ करना भाई, विदा हो रहा हंू...

आज सुबह ऑफिस पहुंचा तो मित्रों से हाथ मिलाने पर पता चला कि मुझे फीवर है। कई दिनों से चल रहे इस फीवर के बीच मुझे कुछ डेंगू जैसे सिम्पटंप्स लगे तो मैंने झट से अपने डॉक्टर को फोन मिलाया। पूरी व्यथा बताई तो डॉक्टर ने तुरंत हास्पिटल आने की सलाह दे डाली। हॉस्पिटल पहुंचने पर डॉक्टर ने हाथ पकड़ते ही डेंगू जैसे सिम्पटंप्स की पुष्टि कर दी और ब्लड टेस्ट की सलाह भी। अब मैं चिंतित हंू कि कहीं डेंगू न हो गया हो। खैर होनी को कोई नहीं टाल सकता। मैं आज जो ब्लॉग लिख रहा हंू, वह इसलिए ताकि कल हो न हो। वास्तव में मनुष्य एक पानी का बुलबुला ही है, कब, कहां क्या हो जाए कहना मुश्किल है। अभी मेरी रिपोर्ट नहीं आई है लेकिन 60 प्रतिशत उम्मीद डेंगू की ही की जा रही है। ऐसे में डॉक्टरी सलाह है कि मैं कुछ दिन घर पर आराम करूं, दिमाग को पूरा आराम दंू। जाहिर तौर पर ऑफिस से छुट्टी भी लेनी होगी। छुट्टी फिलहाल ले ली है, वापस लौटंूगा तो कुछ कहने के काबिल रहंूगा तो जरूर हाजिर हो जाऊंगा। फिलहाल तो आपकी दुआओं की आकांक्षा के साथ मैं कुछ दिन के लिए अपनी ब्लॉगिंग को विराम दे रहा हंू। इन चंद अशआर के साथ....

दुआ करना भाई, विदा हो रहा हंू
रही जिंदगी तो, मैं आकर मिलंूगा।
अगर मर गया तो, दुआ करते रहना
के आंसू बहाने की, कोशिश न करना।।

जय हिंद....

1 comment:

Taarkeshwar Giri said...

shub -shub likha karen,

aur han koi bhi bat ho turant bataiyega.

Khun-woon chahiye to bhi