१९वें कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत को लेकर खेल शुरू होने से पहले जो बेकरारी थी, वह अब खुशी में तब्दील होने लगी है। हमारे टेलेंट ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत हो या दुनिया का कोई कोना, हम कहीं भी किसी से भी कम नहीं हैं। सुबह की शुरुआत अभिनव बिंद्रा और गगन नारंग के गोल्ड मेडल से हुई तो शाम होने तक भारत की झोली में सोने के तमगों की संख्या पांच हो चुकी थी। महीनों से कॉमनवेल्थ गेम्स की फजीहत करने पर जुटा मीडिया आज वाहवाही कर रहा था। इस फजीहत से बेशर्मी झेल रहे लोग भी आज गर्व महसूस कर रहे थे। भारत भूमि से पैदा हुए इस टेलेंट ने आखिर दुनिया को इंडिया की झलक जो दिखा दी। शाम को ऑफिस में जब पांचवे गोल्ड मेडल मिलने की खबर पता चली तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। दुनिया के कद्दावर खिलाड़ियों के सामने भारत की चुनौती सुविधाओं के लिहाज से भले ही कमजोर हो लेकिन गांधी के इस देश के युवा हर मुश्किल में भी हौंसला रखना जानते हैं। मैं दिल से सलाम करता हूं उन खिलाड़ियों को जिन्होंने मेरे देश और मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है लेकिन आईना दिखाना चाहता हूं उस सिस्टम को जो कि खेल के सुधार के नाम पर महज अपनी जेबें भरने का काम करता है। जहां खेल और खिलाड़ियों के उत्थान के नाम पर मोटा पैसा लिया जाता है लेकिन नौकरशाह और हुक्मरान अपना उत्थान करने में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। जय हो के उद्गार के साथ खत्म हुआ उद्घाटन समारोह आज मुझे दोबारा जय हो बोलने को उत्साहित कर रहा है।
3 comments:
तभी तो मेरा भारत महान है। जय हिन्द।
प्रतिभागी 71 देशों में भला कितनों को कद्दावरों को गिन सकते हैं, आप ?
प्रतिभागी 71 देशों में भला कितनों को कद्दावरों में गिना सकते हैं, आप ?
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