विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Friday, October 8, 2010

मुन्नी ही बदनाम क्यों हुई?

मुन्नी बदनाम हुई, डार्लिंग तेरे लिए...यह गीत आजकल हर एक की जुबान पर चढ़ा हुआ है। टीवी से लेकर मोबाइल तक इस गीत की बहार है। हर कोई झंडु बाम बनने के लिए बेताब सा दिखाई दे रहा है। गीत की खुमारी इस कदर है कि मीडिया में भी इस गीत को साक्षी मानकर खबरों की हेडिंग बनाने की पुरजोर कोशिश जारी है। सबकुछ ठीक है और होता आया है लेकिन किसी ने कभी यह सोचने की जरूरत नहीं समझी कि आखिर मुन्नी ही बदनाम क्यों हुई? मामूली से लगने वाले इस सवाल के पीछे जो सवाल छिपे हैं वह मॉर्डन कहलाने वाले इस युग में भी कहीं न कहीं महिला की इमेज की कहानी चीखचीखकर बयां कर रहा है। महिला, वैसे तो कवि की नजर में दो मात्राओं वाली होने के नाते नर पर भारी मानी गई है लेकिन समाज और हमारा नजरिया कुछ जुदा है। कवि कहता है कि 'एक नहीं दोदो मात्राएं, नर से भारी नारी', लेकिन सच्चाई आज भी वही है जो पुराने टाइम में महिलाओं को लेकर होती आई है। आज भी प्रोफेशनल महिला के चरित्र पर दाग लगने में दो पल भी नहीं लगते। आज भी अपने काम के चलते बॉस की वाहवाही लूटने वाली महिलाकर्मी को चरित्रहीन की उपाधि दे दी जाती है। इसकी बानगी मैंने खुद अपनी आंखों से देखी है। मेरा परम मित्र एक प्राइवेट कैमिकल कंपनी में जॉब करता है। मित्र से हर दूसरे दिन अगर बात न हो तो अजीब सा लगता है लेकिन इन दिनों वह जरा परेशान है। वजह बताने पर पहले हिचकता है लेकिन बाद में अपने दिमाग का पूरा फितूर मेरे सामने उगल देता है। उसने बताया कि पिछले महीने से उनकी कंपनी में एक लड़की की एंट्री हुई है। लड़की देखने में जितनी चंचल है, काम में भी उतनी ही फिट है। समस्या यहां हो गई है कि उस लड़की ने मेरे दोस्त की बॉस से नजदीकी और वाहवाही छीन ली है। इसकी वजह से मेरे प्यारे से दोस्त की जिंदगी का चैन छिन गया है। अंदर तक कुरेदने पर उसने बताया कि वह बॉस को जबर्दस्ती इंप्रेस करने पर लगी रहती है। इसकी वजह से बॉस के मन में भी शायद कुछ गलत फहमियां पैदा होने की वजह से उसके बॉस उसे इग्नोर करने लगे हैं। और गहराई तक जाने पर वह अपनी कलीग के बारे में जो बातें बताता है, वह मैं यहां नहीं लिख सकता, लेकिन उसकी बातों ने मेरे अंदर जो हलचल मचाई उसका सार बताता है कि मुन्नी ही बदनाम क्यों हुई है। क्या कईकई लड़कियों को नौकरी या दूसरे प्रलोभन देकर फलर्ट करने वाला बॉस बदनाम नहीं हो सकता। आज भी हमारा समाज महिलाओं को अपनी जूती के नीचे ही देखने का आदी है। हालांकि मैं भी एक पुरुष हूं लेकिन न जाने क्यों अपनी प्यारी सी और समर्पित पत्नी को याद कर मैं महिलाओं के प्रति सम्मान के नजरिए से भर जाता हूं।

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