विचार कभी सामान्य नहीं होते

विचार तो मन में आते हैं लेकिन हम उन्हें सही दिशा नहीं दे पाते। अपनी आंखों के सामने हर पल कुछ नया देखते हैं लेकिन उसके बारे में सोच नहीं पाते, अगर सोचते हैं तो शब्दों में ढ़ालना मुश्किल है। शब्दों में ढ़ाल भी दें तो उसे मंच देना और भी मुश्किल है। यहां कुछ ऐसे ही विचार जो जरा हटकर हैं, जो देखने में सामान्य हैं लेकिन उनमें एक गहराई छिपी होती है। ऐसे पल जिन पर कई बार हमारी नजर ही नहीं जाती। अपने दिमाग में हर पल आने वाले ऐसे भिन्न विचारों को लेकर पेश है मेरा और आपका यह ब्लॉग....

आपका आकांक्षी....
आफताब अजमत



Monday, October 18, 2010

वाह री टीआरपी, समाज का बेड़ा गर्क करके छोड़ेगी

टीआरपी, वह शब्द जो एक टीवी चैनल के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। हो भी क्यों न आखिर इनकी रोजी रोटी जो इसकी के जरिए आती है। यह शब्द आजकल कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण हो गया है। टीआरपी के फेर में हम और हमारे समाज को क्या दिशा मिल रही है, इससे किसी को कोई मतलब नहीं है। ताजा उदाहरण है, एक टीवी चैनल पर शुरू हुआ एक रियलिटी शो। इसमें राखी सावंत इंसाफ कर रही है। हम राखी सावंत की बुराई नहीं कर रहे हैं, न ही हम अपनी रोजी रोटी का जरिया बनाने वाले चैनल की बुराई कर रहे हैं। हम बुराई कर रहे हैं उन लोगों की, जिनके घर के झगड़े अब सड़कों पर नहीं बल्कि दूसरों के घरों तक पहुंच रहे हैं। चैनल पर शो की शुरुआत जिस मामले से की गई, वह बेहद चिंताजनक है। इसमें दिखाया गया है कि खुद को भाईबहन स्वीकार करने वाले महिला और पुरुष एक स्टिंग ऑपरेशन में संगीन अवस्था में दिखाई दे रहे हैं। यानी अब बेहूदगी का यह नंगा नाच बड़ी सेलिब्रिटीज से लेकर आम आदमी तक पहुंच चुका है। हर समाज की रीढ़ की हड्‌ड़ी मानी जाने वाली इस आम जनता को अब अपने परिवार, समाज और रिश्तों की कोई फिकर नहीं रह गई है। नतीजा हम इनके अवैध रिश्तों को टीवी के माध्यम से अपने घरों में खुद तो देख ही रहें हैं साथ ही अपनी नई पीढ़ी को भी दिखा रहे हैं। बुजुर्ग कहते थे कि घर में पतिपत्नी के बीच सौ तरह की लड़ाईयां होती आई हैं, इन्हें किसी बाहरी व्यक्ति से शेयर नहीं करना चाहिए, लेकिन यहां तो पति पत्नी तो दूर लोग अब अवैध रिश्तों पर दुनिया के सामने इंसाफ मांग रहे हैं। हालांकि हमारे समाज में आज भी एक तबका इसका उद्धार करने वाला बचा हुआ है लेकिन जो नई दिशा हम पकड़ रहे हैं, वहां का भविष्य अंधकार से भरा हुआ है। चंचल मन वाला हमारा बच्चा अगर टीवी पर यह अवैध रिश्ते या फैमिली ड्रामा देख रहा है तो उसके मानस पटल पर चल रही उथल पुथल के लिए कौन जिम्मेदार होगा? कल जब वह इसी दिशा में जाएगा तो क्या होगा? आखिर हम इतने बेशर्म कब हो गए कि हमें अपने बच्चों और अपने समाज की बिल्कुल भी लिहाज नहीं रहा? यह ऐसे सवाल हैं, जिनके बारे में हमें और आपको सोचना नहीं बल्कि कुछ करना ही होगा। तभी जाकर हम बच सकते हैं, हमारे बच्चे बच सकते हैं, हमारा समाज बच सकता है।

1 comment:

honesty project democracy said...

ऐसे टीवी चेनल वाले अगर अपने कृत्यों के बारे में एकबार भी ईमानदारी से सोचेंगे तो उनको भी यह एहसास होगा उनका इस तरह चेनल चलाना कटोरे लेकर भीख मांगने से भी बदतर है ...रही राखी सावंत तो उसे मैं इतना ही कहना चाहूँगा की ...राखी को सोचना चाहिए की उसकी इस तरह की हरकत से देश और समाज को कितना नुकसान हो रहा है ...